वे लोग धन्य हैं जो राम कथा का वाचन व श्रवण करते हैं: महंत जानकीदास

धर्म-कर्म

नागौर। // रामद्वारा केशवदास महाराज बगीची बख्तासागर में चातर्मास की कथा के पावन पर्व पर आदि कवि वाल्मीकि ऋषि द्वारा वर्णित रामायण महाकाव्य के प्रवचन में मंहत जानकीदास महाराज ने रामायण महाकाव्य का महत्व वर्णन किया। देव ऋषि नारद ने सनत्कुमार को रामायण नामक महाकाव्य के महत्व को वर्णन करते हुए बताया कि रामायण समस्त पापों का नाश और दुष्ट ग्रहों की बाधा का निवारण करने वाला है ।वे लोग धन्यवाद के पात्र है जो भगवान श्री राम की लीला कथाओं का वर्णन व श्रवण करते हैं । रामायण महाकाव्य की कथा पाठक और श्रोताओं के लिए कल्याणमय सिद्वी को देने वाला है। जो मनुष्य रामायण की कथा सुनता है वह मृत्यु के भय से मुक्त होकर के भगवान श्री रामचंद्र जी के परम पद को प्राप्त कर लेता है। यह पुण्य जनक इतिहास संपूर्ण दुखो का निवारण करने वाला है।

ब्राह्मण, क्षत्रिय , वैश्य ,शूद्र तथा स्त्री इन सबको समस्त मनोवांछित फल प्रदान करने वाला बताया गया है। गंगा के समान तीर्थ, माता के तुल्य गुरु, भगवान विष्णु के समान देवता तथा रामायण से बढ़कर कोई उत्तम वस्तु नहीं है। वेद के समान शास्त्र ,शांति के समान सुख ,शांति से बढ़कर ज्योति तथा रामायण से उत्कृष्ट कोई काव्य नहीं है ।क्षमा के समान बल ,कीर्ति के समान धन ,ज्ञान के सदृश लाभ, रामायण से बढ़कर कोई उत्तम ग्रंथ नहीं है।

इस अवसर पर धनराज रांकावत, किशोर राम मांजू ,सत्यनारायण सेन, मोहनलाल सांखला, भंवर दास वैष्णव बाबूलाल तथा संत महात्माओं के साथ मातृशक्ति उपस्थिति रही।