हरियाणा चुनाव में कॉंग्रेस की जलेबी निकली फीकी, भाजपा की हैट्रिक

राजनीति

चुनावी नतीजे ने एक बार फिर एग्जिट पोल की खोल कर रख दी पूरी पोल

हरियाणा में बीजेपी की तीसरी बार वापसी कांग्रेस को लगा बड़ा झटका

जम्मू कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस व कांग्रेस सरकार बनाने की तैयारी में बीजेपी 29 सीटों पर अटकी

प्रमोद आचार्य

हरियाणा के चुनावी नतीजे ने एक बार फिर कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। यहां पर भाजपा तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है वहीं जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाने के बाद नेशनल कांफ्रेंस व कांग्रेस संयुक्त रूप से सरकार बनाने की और अग्रसर है। यहां पर बीजेपी को मात्र 29 सीटें मिली है। इसके साथ ही हरियाणा के चुनाव ने देशभर के एग्जिट पोल की पोल पूरी तरीके से खोल कर रख दी है। जहां देश के अधिकांश एग्जिट पोल व टीवी चैनल हरियाणा में कांग्रेस की प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाने के दावे कर रहे थे वह सारे दावे खोखले निकले। इसलिए आज हम इस पोस्टमार्टम में एग्जिट पोल की पूरी तरीके से पल खोलेंगे व कांग्रेस की करारी हार की भी समीक्षा भी करेंगे।

झूठ की दुकान के पकवान निकले फीके

दरअसल हरियाणा में कांग्रेस ने पूरा चुनाव झूठ के सहारे लड़ा था। कांग्रेस अपने चुनाव प्रचार के दौरान यह आरोप लगाती रही के सत्तारूढ़ बीजेपी किसानों , युवाओं व पहलवानों की विरोधी सरकार है। साथ ही यह आरोप लगाया कि भाजपा सरकार संविधान बदलने जा रही है और कांग्रेस संविधान की पूरी तरह रक्षा करेगी। इस तरह कांग्रेस ने अपने इस झूठ के सहारे किसानो व दलितो ओर पहलवानों व जाटों के वोट बैंक में सेंध लगाने की पूरी कोशिश की मगर उसके झूठ की पोल बीजेपी ने चुनाव परिणाम में खोल कर रख दी है। कांग्रेस अपने चुनाव प्रचार में बीजेपी के संगठित हिंदू वोटो में ध्रुवीकरण करके चुनाव को जातिगत रंग देना चाह रही थी मगर उसके मंसूबे कामयाब नहीं हुए। यहां पर जाट समुदाय, पहलवानों व किसानों ने भी बीजेपी का भरपूर साथ दिया।

सुबह 9 बजे जलेबी का वितरण और 11 निर्वाचन आयोग की आलोचना

मंगलवार सुबह 8 बजे जैसे ही मतगणना शुरू हुई और शुरुआती रुझानों में पालदा कांग्रेस का भारी दिखाई दिया। ठीक 9 बजे कांग्रेस कार्यालय में बाकायदा जलेबी का वितरण भी कर दिया गया मगर ज्यों ज्यों दिन चढ़ा रुझान बदलते गए। 11 बजे तस्वीर एकदम साफ होने लग गई क्योंकि कांग्रेस 30 का आंकड़ा भी छू नहीं पा रही थी और बीजेपी 45 प्लस के पार जाती दिखाई देने लगी। यहां भाजपा 49 सीटें जीतकर सबसे आगे चल रही है और उसे पूर्ण बहुमत हासिल हो गया है जबकि कांग्रेस को मात्र 35 सीटों पर ही संतोष करना पड़ रहा है। चुनाव से पहले कांग्रेस के कद्दावर नेता कुमारी शैलजा ने अपने आप को सीएम का फेस घोषित किया था। उस दौरान कांग्रेस व कुमारी शैलजा ने भी 90 सीटों में से 60 सीटों पर विजयी होने का दावा किया मगर उसे दावे की पोल खुल गई और कांग्रेस अपने दावे से आधी सीटें भी जीत नहीं पाई जबकि भाजपा ने इस चुनाव परिणाम के साथी हैट्रिक लगाते हुए लगातार तीसरी बार हरियाणा में सरकार बनाने का रास्ता साफ कर लिया है।

बीजेपी को मिले 36 कौम के वोट

जहां कांग्रेस एक वर्ग के वोट बैंक के पीछे पड़ी रही वहीं बीजेपी को इस चुनाव परिणाम में 36 कौम के वोट मिले हैं। कांग्रेस दलितों व जाटों के सहारे सत्ता प्राप्ति के सपने देख रही थी जबकि भाजपा ने यहां पर सोशल इंजीनियरिंग करके माहौल अपने पक्ष में कर लिया और उसी का परिणाम है कि बीजेपी हरियाणा में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है।

चुनाव से पहले मुख्यमंत्री बदलने का फार्मूला बीजेपी के आया काम

जहां बीजेपी ने चुनाव से पूर्व अपना मुख्यमंत्री बदल दिया। यहां लगातार दो चुनाव में बीजेपी ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को मैदान में रखा वहीं इस बार तीसरी चुनाव में उन्होंने चुनाव से जस्ट पहले खट्टर को बदलकर सैनी को मुख्यमंत्री बना दिया। इसकी राजनीतिक हलके में आलोचना भी हुई और कांग्रेस यह मान बैठी की एंटी इनकंबेंसी के चलते भाजपा ने अपना मुख्यमंत्री बदला है। वह हार के करीब है मगर मुख्यमंत्री का चेहरा बदलना बीजेपी के लिए फायदा का सौदा साबित हुआ। उसे मूल ओबीसी वोट बीजेपी से दूर नहीं गए बल्कि उन वोटो में इजाफा भी हुआ। मूल ओबीसी सहित जाट समाज वह दलित समाज ने पूरी ताकत के साथ बीजेपी का समर्थन किया जबकि कांग्रेस दलितों के वोट नहीं ले पाई और उसका खामियाजा उसे चुनाव परिणाम में भी देखने को मिला। बीजेपी ने आरक्षित सीटों में से अधिकांश सिम जीत ली और तीसरी बार सरकार बनाने का मार्ग प्रशस्त कर दिया।

बहरहाल कांग्रेस को आत्म मंथन की आवश्यकता है। क्योंकि वह इस चुनाव में लगातार झूठ पर झूठ बोलकर सत्ता हथियाने की कोशिश में लगी रही। ना तो उसने अपना मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया और ना ही जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं की नब्ज टटोली। केवल कांग्रेस के सीनियर नेता बयान बाजी करते रहे। उन्होंने ग्रास रूट पर मतदाताओं पर अपनी पकड़ नहीं बनाई। इसी कारण उसे करारी हार का सामना करना पड़ा।

  • प्रमोद आचार्य