दुर्गा वाहिनी ने निकाला पथ संचलन, शस्त्र पूजन भी हुआ

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नागौर // दुर्गा वाहिनी के तत्वावधान में नागौर जिला मुख्यालय पर मान वंदना, शस्त्र पूजन व पथ संचलन का कार्यक्रम संपन्न हुआ। शिवबाड़ी स्थित शिव मंदिर में आयोजित यह कार्यक्रम संत जानकीदास महाराज व संत लक्ष्मी नारायण महाराज के पावन सान्निध्य में संपन्न हुआ। घोष वादन के साथ यह पथ संचलन किले की ढाल, गांधी चौक, तहसील चौक, सदर बाजार, बर्तन बाजार, मच्छियों का चौक, तुलसी चौक, लोढा का चौक व माही दरवाजे से होता हुआ सारस्वत बगीची में संपन्न हुआ। इस अवसर पर मार्ग में विभिन्न संगठन व मातृशक्ति द्वारा उस पर पुष्प वर्षा करके व उद्घोष लगाकर मातृशक्ति व शक्ति स्वरूपा बालिकाओं का स्वागत कर उत्साह वर्धन किया। इससे पूर्व संत सान्निध्य में संगठन के पदाधिकारियों द्वारा शस्त्र पूजन किया गया।

इस अवसर पर विश्व हिंदू परिषद के नागौर विभाग मंत्री नरेंद्र भोजक, जिला अध्यक्ष रामेश्वर सारस्वत, दौलत राम सारण, हरिकिशन, बालमुकुंद ओझा, गणेश त्रिवेदी, राधेश्याम टोगसिया, राहुल भाटी, रामनिवास झाड़वाल, रामकुमार भाटी, पुखराज सांखला, श्याम माथुर, सूरजमल भाटी, नरेश कच्छावा, बिरदीचंद सांखला के साथ-साथ अनुपमा उपाध्याय, बसंती राठी, सुधा अग्रवाल, साधना, बबीता, रश्मि व मंजू सारस्वत सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

धर्म की रक्षा के लिए शास्त्र के साथ शास्त्र भी आवश्यक: जानकीदास

इस अवसर पर अपने संबोधन में संत जानकीदास महाराज ने कहा कि धर्म की स्थापना व रक्षा के लिए शस्त्र के साथ-साथ शास्त्र भी आवश्यक है। शास्त्र समझदार के लिए व विवेक युक्त प्राणी के लिए उपयुक्त है। साथ ही जिसमें सर्वे भवंतु सुखिन की भावना रखने वालों के लिए शास्त्र अत्यंत जरूरी है लेकिन जो अन्य के अधिकार पर कब्जा करता है व विवेक शून्य होते हैं उनके लिए शस्त्र की आवश्यकता रहती है। अगर घर में चोर व डाकू प्रवेश कर जाए तो उसे रामायण से नहीं समझा सकते। उसके सामने दुर्गा स्वरूप ही बनना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि शेर में आत्मिक बल अधिक होता है। आत्मिक बल बढ़ाने के लिए नवरात्र में शक्ति की उपासना की जाती है जिसमें सात्विक भोजन व गुणों के माध्यम से शक्ति में वृद्धि की जाती है। कार्यक्रम का संचालन मेघराज राव ने किया।