अमरपुरा में सातवां पाटोत्सव कलश यात्रा से प्रारंभ

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प्रतिदिन 12 से 4 बजे तक आयोजित होगी कथा

नागौर // संत शिरोमणि श्री लिखमीदासजी महाराज स्मारक विकास संस्थान, अमरपुरा- नागौर के तत्वावधान में अमरपुरा में नानी बाई रो मायरो कथा का शुभारंभ हुआ। संत शिरोमणि लिखमीदासजी महाराज के स्मारक व देव मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के सातवें पाटोत्सव (वर्षगांठ ) के अवसर पर यह कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। इस पांच दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन कलश यात्रा से प्रारंभ हुआ। शुभारंभ अमरपुरा चौराहे से कथा स्थल अमरपुरा स्थित स्मारक परिसर तक हुआ जिसमें मातृशक्ति द्वारा मंगल कलश लेकर संत श्री की अगवानी की गई। इसमें 4 दिसंबर तक नानी बाई रो मायरो कथा का श्रवण का लाभ प्राप्त होगा। रामस्नेही रामद्वारा बालेसर व मसूरिया के महन्त संत रामरतन महाराज के मुखारविंद से इस कथा श्रवण का लाभ 12 बजे से 4 तक प्राप्त होगा। 4 दिसम्बर को सायं 7:15 बजे महा आरती का आयोजन होगा तथा 8.15 बजे राजस्थान के प्रसिद्ध भजन गायकों द्वारा महाराज श्री की वाणी व भजनों की प्रस्तुतियों की जाएगी।
कथा का शुभारंभ करते हुए संत श्री ने कहा कि नरसी भगत का परिचय एक भक्त के रूप में संपूर्ण भारत में विख्यात है। अपने आराध्य के प्रति श्रद्धा, समर्पण के साथ उनमें एकनिष्ठ विश्वास का भाव बचपन से ही रहा है। संतों के आशीर्वाद से ही नरसी गत ने बोलना सीखा और बचपन से ही कृष्ण की भक्ति में लग गए। बचपन में न बोलने की शारीरिक कमजोरी को उनकी दादी ने कृष्ण भक्ति व संतों की सेवा में लगकर दूर किया। अपने माता-पिता को बाल्यावस्था में ही खो देने के पश्चात अपने व्यापारिक कर्म के साथ-साथ नरसी भगत कृष्ण भक्ति में लगातार रमे रहे। समाज में दीन दुखियों व जरूरतमंद की सेवा के लिए बहुत बड़े व्यापारी होने के बाद भी अपना धन समाज कल्याण में लगा दिया। भगवान कृष्ण के प्रति अनन्य प्रेम व विश्वास के कारण अनेक विपरीत परिस्थितियों में भी परीक्षा में वह सफल रहे। महाराज श्री ने कहा कि भगवान कभी भी अपने भक्त के विश्वास को खंडित नहीं होने देते हैं तथा उनके लोक कल्याण के भाव की सदा रक्षा करते हैं। इस अवसर पर संस्थान अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत ने भी देव मंदिर व स्मारक स्थल के दर्शन किए तथा कथा पूजन अर्चन व आरती में भाग लिया।
इस अवसर पर अमरपुरा संस्थान के सचिव राधाकिशन तंवर, कोषाध्यक्ष कमल भाटी, कार्यकारिणी सदस्य धर्मेंद्र सोलंकी, बहादुर सिंह भाटी तथा कृपाराम गहलोत, नाथूराम सांखला, दीपक गहलोत, गोविंद पंवार, हिम्मताराम गहलोत, डॉ. शंकरलाल परिहार, पन्नालाल सोलंकी, जगदीश सोलंकी, रामकुमार भाटी, महेंद्र पंवार, देवकिशन सोलंकी, मोहनसिंह भाटी, कैलास गहलोत व सुरेन्द्र सोलंकी सहित अनेक गणमान्य नागरिकों ने कथा श्रवण का लाभ प्राप्त किया।