नागौर // राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत ने नागौर आगमन पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को शिक्षकों एवं कर्मचारियो की मांगों का ज्ञापन कलेक्ट्रेट नागौर में दिया गया।प्रतिनिधिमंडल में जिला अध्यक्ष अर्जुनराम लोमरोड, उपशाखा अध्यक्ष ओमप्रकाश सेन, नवीन सेन आदि शामिल थे।
ये थी ज्ञापन की प्रमुख मांगे
- शिक्षकों के लिए पारदर्शी एवं स्थाई स्थानांतरण नीति लागू कर भ्रष्टाचार पर रोक लगाई जावे, डिजायर व्यवस्था समाप्त की जाए और अविलंब अध्यापकों (तृ.वे.श्रृं) के स्थानांतरण किये जाएं। प्रतिबंधित जिलों की अवधारणा समाप्त की जावे। टीएसपी क्षेत्र के प्रबोधकों सहित समस्त शिक्षकों का विकल्प पत्र के आधार पर गृह जिलों में समायोजन कर राहत प्रदान की जावे।
- उप प्रधानाचार्य के 50% पद विभागीय सीधी भर्ती से भरे जावें तथा उप प्रधानाचार्य का पद 6000 ग्रेड पे में सृजित किया जावे। नव क्रमोन्नत विद्यालयों में आवंटित सभी पदों की वित्तीय स्वीकृति जारी की जावे। वर्तमान में प्रधानाचार्य , उप प्रधानाचार्य, व्याख्याता और व.अ.के होने वाले नव सृजित पद एवं DPC की समीक्षा की जावे।
- फिक्स वेतन के स्थान पर नियुक्ति तिथि से नियमित वेतनमान का लाभ दिया जावे। समस्त कार्मिकों को नगदीरहित (Cashless) चिकित्सा सुविधा दी जावे और RGHS सिस्टम को प्रभावी मोनीटरिंग से पारदर्शी बनाया जावे।एनपीएस अंशदान में काटी गई राशि कार्मिकों को वापस लौटाई जाये।
- सभी प्रकार के ऑन लाइन कार्यों एवं ग़ैर शैक्षणिक कार्यों से शिक्षकों को मुक्त किया जावे, ऑनलाइन प्रशिक्षण बंद किये जाएं। सभी प्रकार के ऑनलाइन कार्यों के लिए सभी माध्यमिक एवं उ मा विधालयों में कम्प्यूटर शिक्षक के पद सृजित कर इन्हें भरा जावे, उच्च प्राथमिक विद्यालयों में छात्र संख्या के प्रतिबंध को समाप्त कर प्रारंभिक शिक्षा के समस्त विद्यालयों में शारीरिक शिक्षक का पद सृजित किया जाए। शिक्षकों के समस्त रिक्त पद अविलंब भरे जावें। प्रारंभिक शिक्षा के समस्त विद्यालयों में लिपिक तथा सहायक कर्मचारी के पद सृजित किए जाएंं।
- पीडी मद का बजट एकमुश्त जारी किया जावे तथा आहरण वितरण का अधिकार पंचायत प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी (PEEO) को दिया जावे, पंचायतीराज शिक्षकों के स्थायीकरण के अधिकार जिला शिक्षा अधिकारी (प्रा शि मुख्यालय) को दिए जावें। डी मर्ज़ स्कूलों में संसाधनों हेतु पर्याप्त बजट दिया जावे।
- संविदा शिक्षक नियुक्ति के बजाय शिक्षकों की नियमित वेतनमान में अविलंब नियमित नियुक्तियां की जाए।
- प्रबोधक का पदनाम अध्यापक किया जाये और शिक्षकों के समान नियमित DPC की जावे। पैरा टीचर, शिक्षा सहयोगी, शिक्षाकर्मी एवं पंचायत सहायकों को स्थायी किया जावे,कुक कम हेल्पर,आँगनबाड़ी कार्यकर्ता,सहायिका, साथिन और आशासहयोगिनी का मानदेय न्यूनतम ₹24000 किया जावे। संविदा/ठेका भर्ती पूर्णतः बंद की जाए।
8 शिक्षकों को समस्त प्रकार के गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्त कर शैक्षिक ढाँचे को मज़बूत किया जावे।
- पाठ्यक्रम को लोकतांत्रिक और प्रगतिशील सोच के आधार पर वैज्ञानिक तरीक़े से अपडेट किया जावे।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की समीक्षा की जाए।समस्त हित साधकों से विमर्श कर सार्वजनिक शिक्षा को सुदृढ करने वाली वैकल्पिक शिक्षा नीति तैयार की जावे,शिक्षा के बाजारीकरण एवं निजीकरण पर रोक लगे।
- प्रारंभिक शिक्षा से माध्यमिक शिक्षा में 6(3)के द्वारा सैटअप परिवर्तन को वैकल्पिक किया जावे।
- संस्कृत शिक्षा विभाग में पदोन्नति की प्रक्रिया शुरू की जावे, पारदर्शी स्थाई स्थानान्तरण नीति बनाई जावे, विभाग में व्याप्त अनियमितताओं की जांच की जावे।
- खेलों के लिए विद्यालयों में पर्याप्त बजट दिया जावे, शारीरिक शिक्षकों की लंबित पदोन्नति प्रक्रिया को शुरू किया जावे, शा शिक्षक भर्ती के नियमों में संशोधन किए जावें। ओपन खेलों की तर्ज पर स्कूल एवं कॉलेज शिक्षा के छात्र छात्राओं को राष्ट्रीय स्तर पर भाग लेने पर सरकारी नौकरियों में 2 प्रतिशत कोटा तय किया जावे।
- 2007 के बाद नियुक्त अध्यापकों (तृ.वे.श्रं.) की वेतन विसंगति दूर की जावे तथा प्रयोगशाला सहायकों को 1997 से अध्यापक पद पर मानते हुए समस्त परिलाभ दिए जावें।
- प्रथम नियुक्ति तिथि के आधार पर क्रमिक पदोन्नति दी जावे। कला,वाणिज्य तथा कृषि शिक्षकों की पदोन्नति की समीक्षा कर उनके साथ न्याय किया जावे। प्रत्येक शिक्षक को सेवाकाल में न्यूनतम दो पदोन्नतियों का लाभ सुनिश्चित किया जाए।पातेय वेतन पर 2010 में की गई तृतीय वेतन श्रंखला शिक्षकों की पदोन्नति में उनके साथ न्याय कर उन्हें 2010 से पदोन्नति का लाभ दिया जावे। हर स्तर पर रोस्टर रजिस्टर का संधारण और पालना सुनिश्चित की जाए। ग्रामीण स्वेच्छा सेवा के शिक्षकों के लिए नियमानुसार वरिष्ठता का निर्धारण किया जावे।
- नवक्रमोन्नत समस्त उ.मा. विद्यालयों में हिंदी व अंग्रेजी(अनिवार्य) व्याख्याता के पद सृजित किये जावें, 2016 के स्टाफिंग पैटर्न की पूर्ण रूप से पालना कर विद्यालयों में छात्र संख्या अनुपात में पद सृजित किये जावें। किसी भी कार्मिक को उसके सेवाकाल में 5 वर्ष से अधिक समय तक प्रतिनियुक्ति पर किसी कार्यालय में नहीं रखा जावे।
- निदेशालय में व्याप्त अनियमितताओं (जाँच, स्थानांतरण, प्रतिनियुक्ति, पदस्थापन संशोधन, APO ) सहित अन्य प्रभागों की निष्पक्ष जाँच करवाई जावे तथा दोषियों के ख़िलाफ़ कठोर कार्यवाही की जावे।
18.नवगठित जिलों में विकल्प के आधार पर स्थानांतरित शिक्षकों को वरिष्ठता का लाभ नियुक्ति तिथि से ही दिया जाए