बीकानेर और उसके आसपास के जिले बन सकते हैं अमेरिकी मुर्गी नस्ल ”रोड आइलैंड रेड” उत्पादन के हब

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प्रादेशिक डेस्क

बीकानेर // स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में पहली बार स्थापित की गई अमेरिकी मुर्गी नस्ल ”रोड आइलैंड रेड” इकाई में चूजों का उत्पादन शुरू हो गया है। कुलपति डॉ अरुण कुमार ने बताया कि कृषि विश्वविद्यालय में नवाचार करते हुए बीकानेर के स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) के अंतर्गत विश्वविद्यालय परिसर में अमेरिकन मुर्गी नस्ल “रोड आइलैंड रेड” की इकाई स्थापित की गई। समन्वित कृषि प्रणाली अंतर्गत स्थापित इस इकाई में चूजों का उत्पादन शुरू हो गया है। मुर्गियों के अंडों से करीब 70 चूजे बाहर आ गए हैं। करीब 100 अंडे इनक्यूबेटर मशीन में इस प्रोसेस में लगे है। विदित है कि इकाई स्थापित करने के लिए राजुवास से 70 मुर्गियों और 10 मुर्गों की खरीद की गई थी।

कुलपति डॉ अरुण कुमार ने बताया कि कृषि विश्वविद्यालय में रोड आइलैंड रेड नस्ल के चूजों की हैचिंग का कार्य जारी है । जल्द ही किसान भाईयों को कृषि विश्वविद्यालय से चूजे उपलब्ध हो सकेंगे। कुलपति ने बताया कि राजस्थान में अजमेर, झुंझुनू जिले मुर्गी पालन के क्षेत्र में अव्वल है। लेकिन वहां वाइट लेग हॉर्न मुर्गियों का ही व्यावसायिक रूप से पालन किया जाता है। बीकानेर और इसके आसपास के जिले रोड आइलैंड रेड नस्ल मुर्गियों के उत्पादन हब बन सकते हैं।

कृषि विश्वविद्यालय में यह इकाई कृषि महाविद्यालय बीकानेर के पशुधन उत्पादन एवं प्रबंधन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ एन.एस.दहिया और सहायक आचार्य डॉ कुलदीप शिंदे के निर्देशन में चल रही है। डॉ एन.एस.दहिया ने बताया कि रोड आइलैंड रेड मुर्गी दोहरे उद्देश्य वाली अमेरिकन नस्ल है जिसे मांस और अंडे दोनों के लिए पाला जाता है। यह मुर्गी लगभग 250-300 भूरे रंग के अंडे प्रतिवर्ष देती है। जिसकी बाजार कीमत 20-22 रु. प्रति अंडा है। वहीं मुर्गे का भार 3.85 किलो और मुर्गी का भार 2.95 किलो होता है। ये उन्नत नस्ल की बैकयार्ड मुर्गियां 4-5 महीनों के अंदर एक से डेढ़ किलो तक की हो जाती हैं और बाजार में मुर्गी की कीमत 320 रू/ किलो है।

डॉ दहिया ने बताया कि मुर्गी पालन व्यावसायिक क्षेत्र में अच्छे विकास के बावजूद कुक्कुट उत्पादों की उपलब्धता और मांग में काफी अंतर है।देश में प्रति व्यक्ति वार्षिक 180 अंडों की मांग के मुकाबले 95 अंडों की उपलब्धता है। इसी तरह प्रति व्यक्ति वार्षिक 11 किलो कुक्कुट मीट की मांग के मुकाबले केवल 7 किलो प्रति व्यक्ति की उपलब्धता है। लिहाजा अंडे और कुक्कुट मीट की बढ़ती मांग को देखते हुए मुर्गी पालन अच्छी कमाई वाला रोजगार का साधन है। बैकयार्ड मुर्गी पालन के लिए रोड आइलैंड रेड नस्ल अच्छा विकल्प है। लघु, सीमांत और भूमिहीन किसान कम लागत में 15 से 20 मुर्गियों से इसकी शुरुआत कर सकते हैं। विदित है कि डॉ एन.एस.दहिया इससे पहले केवीके झुंझुनूं में करीब 5 साल मुर्गी पालन की ट्रेनिंग दे चुके हैं जिसका प्रभाव झुंझुनूं और उसके आसपास के इलाकों में बड़े स्तर पर हो रहे मुर्गी पालन के रूप में देखा जा सकता है।